Love story in coffee shop

टूटती प्यार – Aryan Raj

पल्लवी के मस्तिष्क में बहुत सी चिंता की बिम्ब प्रतीत हो रही थी, वो काफी शॉप में बैठी उन लम्हों को याद कर रही थी
तभी वेटर :,  मैडम, माय आई कैन हेल्प यू( दो बार)
तभी पल्लवी की ध्यान टूटता है
ओह सॉरी, प्लीज वन कप काफी

फिर पल्लवी के मस्तिष्क में सारी पुरानी स्मृति गूंजने लगती है
प्रभात हाउ कैन थींक अबाउट मी
की मेरी अफेयर्स किसी और के साथ , सो दिस्विस्टिंग

मेरे ऑफिस में कितने ही बॉय एजेंट हैं, ऊपर से बॉस इतना काम देते हैं
किसी से बात नहीं करूं, किसी से हेल्प नहीं लूं तो कैसे होगा???
और वो मेरे बारे ऐसा सोचता है
पहले कितना अच्छा था, मेरी हर मजबूरी समझता था, केयर करता था लेकिन पता नहीं अब क्या हो गया
पहले हमेशा बाते करता था , मेरे बारे सोचता था, अब कितना बदल गया
इन सब बातों को सोच कर वो मन ही मन फफक उठी

दोनों की प्यार की शुरुआत महज दो वर्ष पहले हुई थी

पल्लवी प्राइवेट कंपनी की एजेंट और प्रभात पीजी के लास्ट इयर का स्टूडेंट

प्रभात , पल्लवी को फर्स्ट टाइम बस अड्डा पे देखा था

उसे देखते ही प्रभात की आंख चमक उठी, जैसे कोई तीव्र आवेग की बिजली  से उस पर प्रहार किया हो, खूबसूरती से परिपूर्ण , जुल्फे कातिलाना, पल्लवी के अंदर की अदा उसे इस कदर हावी हुआ कि उसे करीब से जानने की लिए लालायित हो उठा और प्रेम का तरंदैध्र्य उमड़ने लगा

संयोग वस
पल्लवी की ऑफिस और प्रभात की कॉल____ एक ही दिशा में था
दोनों एक ही बस पे चढ़े
। फिर क्या, दोनों का रोजाना सफर साथ साथ शुरू

अब पल्लवी भी प्रभात के नज़र की हरकत समझने लगी थी

प्रभात ने हिम्मत दिखाई उससे एक दिन पूछ ही लिया

पल्लवी मुस्काती हुई
हे
व्हाट इज योर नेम????

हेल्लो, आई एम् पल्लवी एंड यू???

प्रभात सकपकाते हुई,,।    मै प्रभात

प्रभात के इस मासूमियत पे वो खिल उठी

अच्छा लड़की से बात करने में डर लगता है

प्रभात; नहीं तो

पल्लवी ; अच्छा

आप क्या करती हो
प्रभात: स्टडी
एंड यू
मै __________

फिर क्या  दोनों की दोस्ती की शुरुआत

सुहावने सफर शुरू

अब इश्क एक तरफा ना, होकर दोनों तरफ से होने लगा
दोस्ती इस कदर बढ़ी की,।      आन जान और मेहमान में भी

इसकी चर्चाएं शुरू हो गई

एक दिन प्रभात बस पकड़ने नहीं आया, उस दिन पल्लवी का मन कुंठित था, दूसरी दिन प्रभात फिर नहीं आया, तीसरे दिन, चौथे,___
जब एक सप्ताह गुजर गए तो, पल्लवी की दशा बिना चांद के चकोर की जैसी ही हो गई
इधर पल्लवी के मस्तिष्क में बहुत सी चिंता उभर रही थी

सहसा पल्लवी , प्रभात से मिलने उसके घर निकल पड़ी,
घर पहुंचते ही प्रभात को देखी बुखार से पीड़ित हैं

पल्लवी को देखती ही प्रभात में ना जाने कहां से  असीम ऊर्जा जागृति हो गई, जैसे कुछ हुआ ही नहीं।  और वह उठ कर बैठ गया

जहां इश्क होता है वहां निश्चित ही अश्क होता है,

अश्क और इश्क एक दूसरे का पूरक है
दोनों एक दूसरे की आंखे देख रहे थे, जैसे मानो पल्लवी बिना प्रभात के  ऊर्जा विहीन पुतली सी थी,

प्रभात कुछ बोलता की

की पल्लवी उस पर नाराजगी से
आप________

बस दोनों की आंखे नम हो गईं
लेकिन उन्होंने ने अश्क का इजहार नहीं किए

प्रभात; आंखो में अश्क
दिल में कई किरदार होते होते हैं
कब तक छुपाओगी पल्लवी
जब किसी से प्यार होता है

और प्यार का इजहार हो गया

दोनों की अच्छे दिन बीत रहे थे , कहते हैं ना कि हर अच्छे चीज में नजर लग जाती है

दोनों के साथ ऐसा ही कुछ हुआ, जिस तरह एक तिनका दही का स्वाद व्यापारी के घर का तबाही बना

उसी प्रकार शक का कीड़ा अच्छे अच्छे रिश्ते को अलग कर देते हैं

एक दिन कॉलेज से लौटते वक्त  पल्लवी को रिसीव करने प्रभात उसके ऑफिस गया,,, उसने देखा अपने पास के केबिन के लड़के सोहन के साथ पल्लवी बहुत घुलमिल कर हंस रही है,
प्रभात के मन में यही से शक का कीड़ा दौड़ने लगा

एक दिन वो सोहन के साथ उसे मार्केट में देखा, और प्रभात मन में तीव्रता से शक दौड़ने लगा

इसी प्रकार उसने उन दोनों को कई दफा एक  साथ देखा गया

प्रभात के मन की व्यथा एक दिन उसने पल्लवी के समक्ष पेश किया
और उसको कई सारी अभद्र शब्दों का भी उपयोग किया, और बहुत सारी बाते वो सुना गया

पल्लवी के मन में कई तरह की सवाल गुंज रहे थे और सोच रही थी कि एक लड़की की बस यही कद्र है
हर मजबूरी समझता था, केयर करता था लेकिन पता नहीं अब क्या हो गया
पहले हमेशा बाते करता था , मेरे बारे सोचता था, अब कितना बदल गया

और आखिरी में खुद से प्रश्न की क्या यही प्यार है?????

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8 thoughts on “टूटती प्यार – Aryan Raj”

  1. eid k baad meri sagai teh hogayi hai .

    aap aana zarur maine Aslam ko kehdiya hai wo aapko call par samjha Sega.miss you Rohan

  2. Thanks yaar please gussa mat hona us din k liye hihi… Suno wo kangan kaisa tha sach bolna tumne dekhte hi kyun haath se bazume rakhdiya tha rohan mujhe uski waja batao agar pasand nahi toh nahi boldete.

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