उस दर्द से मोहब्बत भी तो है.
खुद से कुछ शिकायत भी तो हैं
काश तू वक्त सा थम जाता मेरे लिए,
तुझे पाने की हसरत भी तो है..
हां दर्द ही सही पर
उस दर्द से मोहब्बत भी तो है!!
माना कि जमाने में बहुत सारे गम थे.
वो दौर भी चला जाता हंसकर क्योंकि साथ तेरे हम थे
तू रुकता तो सही मेरे लिए, पर तू ना रुका
क्योंकि खुद को खोकर तुझे पाने की चाहत लिए हम थे.
हां उस रब से शिकायत भी तो है.
वो दर्द ही सही पर
उस दर्द से मोहब्बत भी तो है.!!
ऐ वक्त काश तू थोड़ा और मोहलत देता मुझे.
मैं दुआओं में शामिल करता था उसे.
मेरी बेबसी भी थी और बुरे हालात भी थे
मेरा अकेलापन और तेरी आहट भी तो है
वो दर्द ही सही पर
उस दर्द से मोहब्बत भी तो है..!!
तू जहां भी रहे खिलखिलाता रहे
मिले मुझे गम और तू मुस्कुराता रहे.
इश्क ए दरिया में डूबने की चाहत भी तो है
इस राहें मुसाफिर को अब चलने की आदत भी तो है
अब दर्द है तो दर्द ही सही
जो भी है
उस दर्द से मोहब्बत भी तो है..
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osm poem yalll…………….
Thanks
u wlcm
Mujhe ek sacche sathi ki talash hai agar koi Lucknow se hai to mujhe +1 (912) 999-0072 whatsapp kare plz
wow nyc poem
Really?
thnx
yeah it’s
Achhi poem h….
Uss dardh se mohabat be tho hai….
Nyc lines and bahoth he pyari poem hai raushan…aap kI har ek line me bahoth dardh hai….raushan
Thanks@Aj
Ur wlcm raushan ji…keep writing..
N keep smiling…