💘 Discover a Heartfelt Story: ek bar bula lo na mujhe --Naina singh

The Real Sad Story -Aakash saxena

दोस्तों मेरा नाम आकाश सक्सेना है में पिछले 2 सालो से स्टोरी लिख रआहा हु। मेने आज ही ये स्टोरी लिखी है मेने इसका नाम ‘मासूमियत में सच्चाई’ रखा है आप इस स्टोरी को पड़ना जरूर मेने दिल से लिखी है और अगर स्टोरी का नाम अच्छा न लगे तो कोई अच्छा सा नाम comment box me comment कर देना
एक दिन में ट्रेन से देहली जा रहा था । में ट्रेन की जनरल बोगी में था। बहा काफी भीड़ थी तो में बेठा था तभी मेने अपनी ही बोगी में एक औरत को खड़ा देखा उसके हाथ में एक छोटा बच्चा था और एक उसका हाथ पकड़ के खड़ा था । उस औरत के हाथ में जो बच्चा था बो तकरीवन एक या डेढ़ साल का था और जो निचे खड़ा था बो तीन या चार साल का था । मुझे उस औरत पर दया आ गई मेने अपनी सीट उस औरत को दे दी और मेने देखा की बो औरत काफी �¤
�की हुई थी तो मेने उसके छोटे बेटे को गोदी में पकड़ लिया उसने मुझे धन्यबाद कहा। में सोच रहा था की इसके पति और घर बालो ने ये जानते हुए भी इसे अकेला भेज दिया की इसके पास दो छोटे छोटे बच्चे है। मुझे उनपर काफी गुस्सा आरहा था। मेने उस औरत से पूछा बहन जी आप कहा की रहने बाली हो? बिहार उस औरत ने जबाब दिया। तो सायद आप अपने ससुराल जा रही हो? मेने उनसे एक और सवाल किया। उसने हां में सर हिलाया। मेने सो
चा की क्या यार इसके माँ बाप इसे ऐसे ही अकेले भेज देते है यह जानकर भी की इसके दो छोटे छोटे बच्चे है। मेने उस औरत से पूछा की क्या उनके पति उनके साथ नहीं आते? उस औरत की आँख में आंसू आ गए में समझा की सायद उनके पति नहीं है फिर मेरी नज़र उस औरत की मांग में भरे सिंदूर पर पड़ी। फिर मेने उस औरत से न चाहते हुए भी ये सवाल किया की क्या हुआ आपके पति को क्या उनका कोई एक्ससिडेंट वगेरा हो गया क्या या तबि�¤
�त बगैर ज्यादा ख़राब है उस औरत ने न में सर हिलाया और आपबीती सुनाई उसे मुझे सब बताया की उसका पति उसे रोज़ मरता पिटता है और खाना भी टाइम से नहीं खाने देता उसके सास ससुर भी उसपर काफी जुल्म करते है। मुझे ये सुनकर गुस्सा आया और मेने कहा की तुम्हारे मम्मी पापा कुछ नहीं करते। तो उसने जबाब दिया की में बहुत गरीव माँ बाप की लड़की हु वेसे मेरे दादा जी बहुत अमीर थे। दादा जी की जितनी भी पूंजी थी ब�¥
‹ मेरे पापा के इलाज में लग गई। मेरे ससुराल बालो ने सोचा की जब इसके दादा पर इतना माल था तो थोडा बहुत अपनी नातनि के लिए भी छोड़ गए होंगे और उन्होंने दहेज़ के लालच में मुझसे सादी कर ली और जब सादी के बाद पता चला की हमारे पास कुछ नहीं तो मुझे घर से निकाल दिया मेरे लाख मिन्नत की की मुझे इसी घर में रहने दो में नोकरानी बन कर जी लुंगी मेरे बूढे माँ बाप मेरा बोझ नहीं उठा पाएंगे और मेरा एक ही तो भाई
है बो मेरे लिए कमाए गा या अपने घर बालो के लिये। मेने लाख मिन्नत की तब जाकर उन्होंने मुझे घर में रखा में होली के त्यौहार पर अपने घर आई थी। अब जा रही हु। मुझे बहुत गुस्सा आया पर में कर भी क्या सकता था। मेने उस औरत को चुप किया और बही सामने खाली हुई जगह पर बेठ गया। मेने उस औरत से क़ानूनी कर्बाहि भी करने को बोली पर उसने मना कर दिया की उसके माँ बाप ये सदमा बर्दास्त नहीं कर पाएंगे मेने कहा ठी�¤
• है। फिर मे उसके बड़े बेटे से बात करने लगा की बो कितनी क्लास में ही और दिन भर क्या करता है बगेरा बगेरा यूही बात चल रही थी हमारा बिहार से छः घंटे का सफर था और हम दोनों का प्लेटफॉर्म आस पास ही थे बस उस औरत को पहले उतरना था और मुझे बाद में उस औरत का स्टेशन पास ही था लगभग आधा घंटे का और सफर था। यूही बात चलती ही जा रही थी फिर मेने उस औरत के बड़े लड़के से एक सवाल किया की बो बड़ा होकर क्या बनेगा? त
ो उस बच्चे के जबाब ने मुझे रुला दिया उसने बड़ी ही मासूमियत से जबाब दिया की बो बड़ा होकर अपनी माँ की बुढ़ापे की लाठी बनेगा। उस बच्चे ने बड़ी ही मासूमियत से इतनी बड़ी बात कह दी मेने उस बच्चे को गले लगा लिया बो बच्चा बहुत मुस्कुरा रहा था उसके चहरे पर एक अनोखा तेज़ था मानो जैसे तेज़ गर्मी के बाद सावन के लहराते बादल में समझ नहीं पा रहा था की अब उससे क्या पुछु उसने मेरे पहले ही सबाल का इतना
सुन्दर जबाब दिया की मेरे पास कोई सबाल पूछने को बचा ही नहीं उस बच्चे के चहरे पर सच्चाई झलख रही थी। मेने उसकी माँ से पूछा की उसे इतनी अच्छी अच्छी बाते कौन सिखाता है? तो उसकी माँ ने जबाब दिया की दिन भर अपने नाना जी के पास रहता है बही बताते रहते है इसे ज्ञान ध्यान की बाते। मेने मन ही मन सोचा की कास बचपन में हमारे नाना जी भी जिन्दा होते तो हमें भी ऐसी ही ज्ञान ध्यान की बाते बताते और मेरी आँ�¤
– भीग गई। तो उस औरत ने मुझसे पूछा क्या हुआ मेंने कहा कुछ नहीं फिर बो औरत बोली हमारा स्टेशन आ गया फिर मेंने उस औरत की ट्रेन से उतरने में मदत की उसके बड़े लड़के ने मुझसे बाय बोली और कहा की अंकल कभी घर आना मेने हां में सर हिलाया और उसको बाय बोला ट्रेन चल चुकी थी अब अगला ही स्टेशन पर मुझे भी उतरना था में अपनी सीट पर आकर बैठ गया मुझे बार बार उस बच्चे की कही बात याद आ रही थी की बो बच्चा इतनी सी उ
म्र में इतनी बड़ी सच्चाई बोल गया। में घर पंहुचा और मेने ये सारी बातें घर बालो को बताई तो सारे घर बाले भी चोक गए में भी काफी गहरी सोच में था रात के साढे बारह बज चुके में आँगन में खड़ा आसमान की और ताक़ रहा था तभी मेरी माँ पीछे से आई और बोली ये क्या देख रहा है आसमान में आज से पहले तो तूने आसमान को इतनी गोर से नहीं देखा? मेने कहा कुछ नहीं माँ ऐसे ही और आप अभी तक जाग रही हो सोई नहीं तो बो बोली अ�¤
�े में थोडा टोलेट करने आई थी और जा तू भी सोजा सुबह जल्दी ऑफिस जाना है। में बहा से अपने कमरे में आ गया मुझे नींद नहीं आरही थी बस उसी के बारे में सोच रहा था फिर मेने कह सो जा यार आकाश सुबह जल्दी ऑफिस जाना है फिर में सो गया।
वस इतनी सी थी ये कहानी

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8 thoughts on “The Real Sad Story -Aakash saxena”

  1. Aastha Agrawal

    very NYC story..hum agar kisi k liye kuch kar nhi skte to kya dusro ko khushi to de skte hai na..pal bhar ki khushiya bhi bhut mayne rakhti hai

  2. Thanxs to all friends meni story ko itna pasand krne ke liye..mujhe nahi pata tha ki aap sab mere story ko itna pasand kroge..mene to aaj dekha hai ye sab..thanks to my aal friends..

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