Life Experience poem

Real poem on life

Anjaan Musafir – Raushan

हर रोज ठोकरें खाता हूं और ख़्वाहिश लेकर चलता हूं.. मैं हूं एक अनजान मुसाफिर गिरता और संभलता हूं || पता नहीं जीवन में क्या हो. नहीं पता मेरे मंजिल का, पता नहीं मैं क्यों चलता हूं नहीं पता मेरे साहिल का.. बस तेरी यादों में खोकर बड़ी दूर तक चलता हूं. मैं हूं एक

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