मोहब्बत के सिलसिले(Apoorva Srivastava)

सितारों की महफिल में दूर – दूर ताक रात होगी,
तुम जो हो तो मोहब्बत की ही बात होगी।
इक इश्क़ का नग्मा ले मैं हर रात निहारती हूँ,
तुम्हारे दिल की धड़कन से अपना नज़्म सजाती हूँ।
मैं आसमां के पैमाने पर अपना चान्द उतारती हूँ,
जब कोई प्यार का ज़िक्र करे तो तुम्हारा नाम पुकारती हूँ।
मंज़र वही, रातें वही और अंधरे की क्या ही बात है,
वो जो आके बाहों में समा जाए तो बस वही सच्ची मुलाकात है
माना के जमाने से तालुकात बन नहीं सकते,
मोहब्बत के सिलसिले यूँ है कि,
तुम्हारे बिना रह नहीं सकते।
तुम इन महफ़िलों की शमा बुझा देना,
लाख अंधेरों से घिरे हो तो,
बस सिर्फ हाथ मेरा तुम थाम लेना।
बेइन्तहां मोहब्बत है और इतनी  ही रहेगी,
ये चाहत के सिलसिले हैं, ये शिद्दत अब ना कम होगी।
दीवाने हम भी हैं , दीवाने तुम भी हो
कोई रात ऐसी होगी जहाँ अपनी भी शाम होगी।।

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