खोया हुआ दिल(Hindi Poem)

सहर की रौशनी में खोए थे जो सपने,
अब वो सब धुंधले हो गए हैं,
वो प्यार की बातें, वो हँसी की गूँज,
अब बस यादों के काले बादलों में हैं।

रात की चाँदनी में लहराते थे जो ख्वाब,
अब उन ख्वाबों का रंग बेरंग हो गया,
जिन्हें हमने दिल से चाहा था कभी,
वो सब आज अपने आपसे बेगाना हो गया।

वो मीठे लम्हे, वो बेताबियाँ,
अब बस एक खामोशी की धुंध में खो गए हैं,
जिन्हें हर सुबह अपने दिल में बसाए रखा,
वो लम्हे अब सिर्फ सिसकियों में ढल गए हैं।

गुज़रे वक़्त की चुप्प है गहरी,
और हाँ, दिल की ख़ामोशी भी अजीब है,
सिर्फ एक खाली जगह बची है अब यहाँ,
जहाँ कभी तुम थे, और अब कुछ भी नहीं है।

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