अधूरी मोहब्बत(आरती)

हाय दोस्तों, मेरा नाम आरती है और यह मेरी सच्ची प्रेम कहानी है। इस कहानी का अंत शायद वैसा नहीं है जैसा हम सभी उम्मीद करते हैं, लेकिन यह कहानी मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा है जिसे मैं आपसे साझा करना चाहती हूँ।

मैं 12वीं कक्षा में थी जब हमारी मुलाकात हुई। उसका नाम अभिषेक था। वह मेरे स्कूल में नया आया था और उसकी शांति और गंभीरता ने मुझे तुरंत आकर्षित कर लिया। अभिषेक बहुत ही शांत और समझदार लड़का था। क्लास में वह हमेशा सबसे पीछे बैठता और किताबों में खोया रहता। मुझे उसकी यह अदा बहुत अच्छी लगती थी।

हमारी पहली मुलाकात स्कूल की लाइब्रेरी में हुई थी। वह एक किताब ढूंढ रहा था जो वहाँ नहीं मिल रही थी और मैंने उसकी मदद की। उस दिन के बाद से हमारी बातचीत शुरू हुई। हम धीरे-धीरे अच्छे दोस्त बन गए। वह मेरी हर बात ध्यान से सुनता और मुझे समझाता था। उसकी सोच और उसकी बातें मुझे बहुत प्रभावित करती थीं।

हम दोनों की दोस्ती दिन-ब-दिन गहरी होती गई और मैं उसके बिना अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकती थी। एक दिन, मैंने हिम्मत जुटाकर उसे अपने दिल की बात बताने का फैसला किया। मैंने कहा, “अभिषेक, मुझे लगता है कि मैं तुम्हें पसंद करने लगी हूँ।” उसने थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहा, “आरती, मैं भी तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ।”

हमारे बीच प्यार की शुरुआत हो गई थी। हम दोनों एक-दूसरे के साथ बहुत खुश थे। स्कूल के बाद हम घंटों साथ बिताते, एक-दूसरे के सपनों और ख्वाहिशों के बारे में बात करते। मुझे लगता था कि हम हमेशा साथ रहेंगे और हमारी कहानी कभी खत्म नहीं होगी।

लेकिन जिंदगी हमेशा हमारी उम्मीदों के मुताबिक नहीं चलती। 12वीं के Exam के बाद, अभिषेक के पिता का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया। हमें अलग होना पड़ा। उस दिन हम दोनों ने बहुत रोया। उसने मुझसे वादा किया कि वह मुझे कभी नहीं भूलेगा और हमेशा मुझसे संपर्क में रहेगा।

हमने फोन और चिट्ठियों के जरिए एक-दूसरे से संपर्क बनाए रखा। लेकिन धीरे-धीरे, उसकी चिट्ठियाँ कम होती गईं और फोन कॉल्स भी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि हमारे बीच क्या गलत हो रहा है। मैंने कई बार उसे फोन किया, लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया।

फिर एक दिन, मुझे उसकी माँ का फोन आया। उन्होंने बताया कि अभिषेक को कैंसर हो गया है और वह बहुत बीमार है। यह सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मैंने तुरंत उसके शहर जाने का फैसला किया। जब मैं वहाँ पहुँची, तो मैंने देखा कि अभिषेक बहुत कमजोर हो चुका था। उसकी आँखों में अब भी वही प्यार था, लेकिन वह बहुत थका हुआ और दर्द में था।

उसने मुझे देखा और मुस्कुराया। उसने कहा, “आरती, मैं तुम्हें आखिरी बार देखना चाहता था। मैं जानता हूँ कि मेरे पास ज्यादा समय नहीं है, लेकिन मैं चाहता था कि तुम जानो कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ।” मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, अभिषेक।”

उसके बाद के कुछ दिन हमने साथ बिताए। हम अपने पुराने दिनों की बातें करते, हँसते और रोते। लेकिन मैं जानती थी कि हमारा समय बहुत कम है। एक दिन, अभिषेक ने मुझसे कहा, “आरती, मेरे जाने के बाद तुम अपना ख्याल रखना। अपनी जिंदगी जीना और खुश रहना। मुझे तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान देखना पसंद है।”

कुछ दिनों बाद, अभिषेक ने आखिरी साँस ली। मेरे जीवन का सबसे बड़ा हिस्सा खो गया था। मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगी। उसके बिना सब कुछ अधूरा लगने लगा।

आज, कई साल बाद भी, मैं अभिषेक को याद करती हूँ। उसकी यादें हमेशा मेरे साथ हैं। उसने मुझे सिखाया कि सच्चा प्यार क्या होता है और यह भी कि कभी-कभी प्यार अधूरा रह जाता है। लेकिन उन अधूरी यादों में भी एक अनोखा सुख और संतोष होता है।

दोस्तों, यह थी मेरी अधूरी प्रेम कहानी। प्यार हमेशा आसान नहीं होता और कभी-कभी इसे पूरा होने का मौका नहीं मिलता। लेकिन यह हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाता है और हमारे दिलों में एक स्थायी छाप छोड़ जाता है।

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